सायलेंट इस्केमिया (दर्द रहित अवरोधित रक्त प्रवाह) और साइलंट मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (दर्द रहित हार्ट एटेक / दिल का दौरा)
एक ६८ सालकी महिला रात्रि के समय अस्पतालमे लाई जाती है। शाम के समय से वह कमज़ोरी महसूस कर रही थी। एकबार बाथरूम में जाते वख्त उन्हें बेचैनी का अनुभव था। कोई खास गंभीर फरियाद या लक्षण नहीं है परन्तु उनके कुटुम्बीजन डॉक्टर की राय जानना चाहते है। उन्हें आठ साल से डायबिटीस की बिमारी है। आपातकालीन रूम में की गई प्राथमिक जांच में खास कुछ गंभीर नहीं पाया गया किन्तु उनका दिल के दौरे का ब्लड टेस्ट (Troponin) पॉजिटिव निकला। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। तत्काल प्रमाणित सारवार प्रदान करने के बाद उनकी स्थिति स्थिर हुई।
आपको क्या लगता हे ये सिर्फ एक दिन में ही हो गया। जी नहीं। हृदयकी नलीओ को अवरोधित होने में समय लगता है। एकबार अवरोध ८०% तक बढ़ जाये तब हृदय रोग की तकलीफ़ों का अनुभव होता है। परन्तु कुछ लोगो को दर्द महसूस ही नहीं होता। उससे ज़्यादा बदनसीब घटना होती हे अचानक हृदयका बंध हो जाना यानी अकाल मृत्यु। ऐसा भी हो सकताहै की दिल का दौरा न पड़े किन्तु लम्बे अरसे तक पर्याप्त मात्रामे खून न मिलने की वजह से हृदय के कोष क्रमशः मृत होजाए और हृदय चौड़ा होना शुरु हो जाये जो उसकी कार्यदक्षता पर गंभीर रुपसे विपरीत असर करे।
मायोकार्डियल इस्केमिया का मतलब हे हृदय की नलियां ब्लॉक होनेकी वजह से हृदय में खून का बहाव हानिकारक तरीके से कम हो जाना। छातीमे वज़न महसूस होना, दबाव लगना, घबराहट होना, और पेट में गैस हो जाना, डकारे आना अथवा पेटमे दर्द होना जैसी शिकायते मुख्य रूप से रहती है। तबीबी विज्ञानकी भाषामे इसे एंजाइना कहते है। परन्तु ज़्यादा खतरे वाली स्थिति हे कोई भी दर्द न होना। इसे कहते है साइलंट इस्केमिया।
साइलंट हार्ट एटेक मतलब हृदय के स्नायुओंकी मृत्यु बिना किसी दर्द के। भलेही दर्द न हो लेकिन हार्ट एटेक मतलब हार्ट एटेक, जो गंभीर समस्याए खड़ी कर सकता है। दूसरीबार हार्ट एटेक आनेकी संभावनाए ज़्यादा हो जाती है। उसके घावसे हृदय दुर्बल होता जाता है और उसकी कार्यदक्षतामे गिरावट आती है। अकाल मृत्यु होने का जोखिम बढ़ जाता है।
डायबिटीस के मरीज़ोंमे सायलेंट इस्केमिया १०% से २०% तक पाया जाता हे जो बिना डायबितिस के दर्दीओके समूह के १% से ४% की तुलनामे काफी ज़्यादा है। वैज्ञानिको का मानना है की इसका कारन दर्द वहन करने वाली चेताओंका बीमार होजाना या ख़त्म होजाना है। बीमार चेताए दर्दकी संवेदना का वहन करने में असमर्थ होती हे जिस वजह से दर्द महसूस नहीं होता और ऐसी गंभीर घटना से मरिज़ ज्ञात ही नहीं होता।
डायबिटीस के मरीज़ोंमे साइलेंट इस्केमिया की वजहसे निदानमे देरी हो जाती हे जिस वजह से निदान होने तक रोग आगे बढ़ चूका होता है।
डायबिटीस के मरीज़ोंके अभ्यास से ये जानकारी मिली है की उस अभ्यासमे हिस्सा लेने वाले १६% मरीज़ साइलंट हार्ट एटेक के शिकर हो चुके थे। ऐसे संयोगको नाकारा नहीं जा सकता।
आप यदि डायबीटीसके मरीज़ हे तो इस बीमारी से जुड़े हुए खतरों पर गौर कीजिये। नियमित जांच करवाते रहिये और स्वस्थ रहिये।